कलम-ए-दिल
दिल के जज़्बात जो ज़ुबाँ बयां न कर सकी तो सहारा कलम बन गयी
Monday, May 4, 2020
गुज़रे ज़माने से
गुज़रे ज़माने से जब मेरी याद आएगी,
हो न हो तेरी आँख ज़रूर भर जाएगी |
निकलोगे उन गलियों से जहाँ मैं साथ था,
चलते चलते एक बार रुक तो ज़रूर जाएगी |
कई शिकायतें हैं आज तुझे मुझसे,
आखिर कब तक उन्हें दिल में रख पायेगी |
2 comments:
Srk Sameer
May 30, 2020 at 7:17 AM
Great one..
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BHANU RAJ
June 12, 2020 at 8:35 PM
thanks a lot bhai
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Great one..
ReplyDeletethanks a lot bhai
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