Monday, May 25, 2020

छाई हुई है


छाई हुई है, घटा घनेरी,

नागिन सी डसती, रात विषैली | 

सबकुछ भीतर, छुपा रही है,

जैसे धुएं की, चादर फैली | 


नज़रें जिसको, ढूंढ रहीं हैं,

ओझल है वो, धूप सुनहरी | 

जैसे कोई, चढ़ा गया है,

हर चीज़ पे काली, स्याही गहरी | 


इंतज़ार, अब करते-करते,

बिखर गयी, हर आस अधूरी | 

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