छाई हुई है, घटा घनेरी,
नागिन सी डसती, रात विषैली |
सबकुछ भीतर, छुपा रही है,
जैसे धुएं की, चादर फैली |
नज़रें जिसको, ढूंढ रहीं हैं,
ओझल है वो, धूप सुनहरी |
जैसे कोई, चढ़ा गया है,
हर चीज़ पे काली, स्याही गहरी |
इंतज़ार, अब करते-करते,
बिखर गयी, हर आस अधूरी |
Good luck
ReplyDeleteThank You
DeleteNice thoughts
ReplyDeleteThanks Bhai
Delete👌
ReplyDeleteउरस्पर्शी लफ्ज़
Dhanyawad Bhai
DeleteThank You
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