Sunday, May 3, 2020

बदलते लोग

पतझड़ में पत्तियों को झड़ते देखा है,
मैंने अपनों को बिछड़ते देखा है | 
 
शाखों पर नयी पत्तियां आते देखा है,
मैंने लोगों को रिश्ते बदलते देखा है | 

गिरे हुए पत्तों को बिखरते देखा है,
मैंने खुद को मिटटी में मिलते देखा है | 

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