शायद तुम, कभी समझ न पाओ ।
वो मायूस सुबह-से उगते सूरज,
वो कश्ती-सी डूबी शामें।
शायद तुम, कभी समझ न पाओ ।
वो सालों-से लंबे हर दिन,
वो सदियों-सी लंबी रातें।
शायद तुम, कभी समझ न पाओ ।
वो सुई-से चुभते घड़ी के काँटे,
वो ज़ख़्मों-सी कुछ गहरी यादें ।
शायद तुम, कभी समझ न पाओ ।
वो कांच-से टूटे सच्चे सपने,
वो सच-सी लगती झूठी बातें।
Sayad 🤔 bahut badiya h 😄😄
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DeleteWah
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