Wednesday, June 3, 2020

रातों में नींद


रातों में नींद, जब उजड़ सी जाती है, 

फिर चादर, तेरी खुशबु की, ओढ़ लिया करता हूँ । 

करता है मन, जब तुझे बाहों में भरने का, 

अपने तकिये को, तू समझ के, लिपट लिया करता हूँ ।

आती है याद, जब शरारतों की तेरी, 

अक्सर मैं उन, किस्सों पर तेरे, हँस लिया करता हूँ । 

बुझ नही पाती, जब पानी से प्यास मेरी, 

यादों से मिठास, होंठो की तेरे, चख लिया करता हूँ । 

भूँख भी अक्सर, जब लगती नहीं मुझे, 

निवाला मैं समझ, हाथों का तेरे, खा लिया करता हूँ । 

बढ़ जाता है, जब दर्द तेरी जुदाई का, 

तू यहीं है दिल में, खुदसे ये तब, कह लिया करता हूँ । 

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