दिन हो या रात हो,
बाहर जब भी होता हूँ,
मम्मी से पहले कॉल तेरा ही आता है।
"सच सच बता मुझे,
तू ठीक है ना?"
"हाँ" न बोलूँ तबतक सवाल यही आता है।
"पापा गुस्से में हैं,
अभी बात मत करना!"
वो कॉल मुझे पापा की डाँट से बचाता है।
तू बाहर होकर भी,
ख्याल रखती है मेरा,
हर कॉल में प्यार साफ नज़र आता है।
जब भी मेरी बात,
तुझे पसंद नहीं आती,
लाड़-प्यार तेरा गुस्से में बदल जाता है।
चाहे कितना भी लड़ले,
मेरी प्यारी बहना,
ज़रूरत पर तुझे भईया ही याद आता है।
Bahut sundar 👌👌
ReplyDeleteNice one
ReplyDeleteThank You
Deleteबहुत सुन्दर कविता !
ReplyDeleteThank You
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