चलो न! सब भूल जायें,
किस्से हमारे फिर दोहरायें ।
वही मैं और वही तुम,
एक बार फिर हो जायें ।
तुम्हारी झील सी आँखों में,
क्यों न फिर से गोते खाएं ?
कि डूबें इनमें ऐसे हम,
दोबारा न ऊपर आयें ।
महक बदन की सौंधी सी,
फिर से सांसों में भर लायें ।
स्वाद लबों का मीठा सा,
एक बार फिर चख आयें ।
गुस्सा तेरा, गुस्सा मेरा,
वहीं जाकर छोड़ आयें ।
हाँथ थाम लें फिर से ऐसे,
छोड़कर भी छुड़ा न पायें ।
वक़्त में पीछे जाकर हम,
तुमको फिर से ढूँढ लायें ।
पर सच जानकर वक़्त का
हम बेबस इसे बदल न पायें।
ऐसा होता, वैसा होता,
झूठी हम, उम्मीद लगायें ।
क्यों याद तुझे हम करते-करते,
अपने दिल को और तड़पायें ।
पोछ कर अपने आँसू हम,
उन किस्सों को न दोहराएँ।
चलो न! सब भूल जायें ।
चलो न! सब भूल ही जायें ।
Kya baat
ReplyDeleteThanks Bhai...Thanks a lottt!!!...
ReplyDeleteWonderful 🙌🙌
ReplyDeleteBahut Khoob💯✔️
ReplyDeleteSuperb...Sir
ReplyDeleteAwesome..!!
ReplyDeleteVery nice Bhai... Keep it up...
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteAwesome... Keep it up.... 💯💯👍🏻👍🏻👌🏻👌🏻
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